Friday, 17 March 2017

Aye jindegi

   जिंदगी हमारी यूँ सितम हो गई, खुशी ना जानें कहाँ दफन हो गई ।
अब तोह किसी भी बात पे एतबार नहीँ होता, होतें है बस समझोते दिलों के 
 कितना भी समझा ले, इस दिल को 
कि एक कतरा, कभी कोई सागर नहीँ होता । 
ना जाने क्या आस लिए बैठा है ये दिल, जिंदेगी तो चल रही है आज भी 
 बस डर इतना है कही थम न जाए धड़कन इस दिल की । 
लगते है जो पल सुहाने, वो है मेरे बस खाबो के 
हकीकत में कभी ख़ुशी का दीदार नही होता 
ढल जाते है अश्क, एक और गम की रह लिए 
इन होठो को अब किसी हँसी, का इन्तेजार नही होता । 

न जाने कहाँ है वो रस्ते जिंदगी के, एक सफर जो मुझे मेरी राह तक ले जाये 
ए जिंदगी, थम जा दो पल अभी 
फिर मौका मिले या न मिले कभी। 

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