Tuesday 26 December 2017

 " Drawn through the waters
     hovering in clouds, wiping
   off the vestiges from
    painful scars and salted wounds.
  Driven to her, through land and sea
    till the morale within, wishes to flee
Oh! Still a little drunk in solitude
     and anguish is she "

किस्से ज़िन्दगी के

ज़िन्दगी हमारी यूं सितम हो गई
ख़ुशी न जाने कहाँ दफ़न होगई
थे जो पल कभी सुहाने, लगते है अब
 वो बस मेरे ख्वाबो के ।
अब तो किसी भी बात पे ऐतबार नही होता
क्योंकि हकीकत में कभी,
ख़ुशी का दीदार नही होता और
इन होठो को अब किसी हँसी का
इंतज़ार नही होता ।

ढल जाते है अश्क़, एक और गम की राह लिए..
दर जाता है ये दिल आज, एक और अरमानों की चाह लिए ।
जाने क्यों हर ख़ुशी अब लगे नमी थी
शायद उन पलों में अपनों के अपनेपन की कमी थी ।

सपनों से है ये ज़िन्दगी
जिसमे ख्वाब कुछ मेरे भी थे, और
ख़ुशी के कुछ पल, अभी बुनने भी थे ।
पर ज़िन्दगी हमारी यूँ सितम हो गई
की ख़ुशी न जाने कहाँ दफ़न हो गई ।
न जाने कहाँ है वो रस्ते ज़िन्दगी के ?
एक सफर जो मेरी राह तक ले जाए
और जाने कहाँ है वो रिश्ते ज़िन्दगी के,
जो मेरी खोई रूह वापस ले आए ।

ज़िन्दगी की इस राह में देखे है
बदलते किस्से कई
और देखे है, सपनो के बिखरते हिस्से कई ।
रस्ते उन सपनो तक इतने मुश्किल न थे
पर चुभे कुछ कांटे, जिन्हें अपनों ने ही बुने थे ।
 ए ज़िन्दगी क्या है ये?
उन सपनो की किस्मत, या
अपनों की हकीकत ?

Saturday 16 December 2017

दिल संभल जा ज़रा

कभी तूफान है, कभी ख़ामोशी...
तू ही बता, तुझे हुआ क्या?
क्यों तू इतनी परेशां है
अपने ही सवाल पे आज हैरान है?
अपने ही चाल पे, अपने सवाल पे
क्यों उठा है आज तेरे अंदर एक बवाल?
दिल, संभल जा ज़रा ।

कभी दरी दरी, कभी सहमी सी है तू
तू ही बता, तुझे हुआ क्या?
उलझन जो है तेरी, आज समझ न आए मेरी ।
क्यों तुझे लगे, "इस दुनिया में कोई सहारा नहीं"
 "और अपनों की भीड़ में कोई हमारा नही"?

कभी ख़ुशी है, कभी नमी है
तू ही बता ज़रा, तुझे किसकी कमी है?

सुन कभी अपनी वो आवाज़, जो तुझे दिखा दे
एक राह तेरे हर सवाल तक
और जो बने तेरी ताकत
तेरे हर एक चाल तक
दिल, आज तू सम्भल जा ज़रा
न जाने कल किस नयी चुनोतियो की
 और है चला !

Friday 15 December 2017

ए जिंदगी

समझ न आया, ए जिंदगी
तेरा ये फ़लसफ़ा
कभी तेरी ही रुह हो जाती,
है तुझसे खफ़ा ।
पर फिर जब कभी उठे है तुझपे सवाल
तब क्यों उठे है उस रूह में बवाल?

न जाने कैसी है,ये तेरी लीला
जो वक़्त बेवक़्त उस रूह को बस,
कश्मकश है मिला ।
समझ न आया अब भी, जिंदगी
 तेरा ये फ़लसफ़ा ।।

ए जिंदगी, एक सुकून की तलाश थी
जिसने न जाने कितनी बेचैनियां थी पल ली
पर अब उस रूह ने अपनी बिखरती,
 ज़िन्दगी भी संभाल ली ।
क्योंकि, कभी तलाश थी जिस सुकून की
वो बनी अब है एक जूनून सी ।

समझ आज भी न आया, ए जिंदगी
 तेरा ये फ़लसफ़ा
कभी जो कहती थी, "समय आज तक किसीका न हुआ"
आज कहती है, "दो पल रुक जा ज़रा, मिलेगा वो जो तूने कभी है बुआ"

Saturday 9 December 2017

"She turned into pages
to free the agony, lying inside.
Blood mixed with ink
 dribble over them, and
wove a desperate tale of another time.
As pages crawl towards her,
 the burn in the sombre heart
began to subside.

Till the pain lie dormant once more
 tears had nearly run dry"

"Just Stay Positive"; Genuine Optimism or Toxic Positivity?

  How often do you get to hear someone say "just stay positive" "be happy" and bla bla bla. Quite often right? Well, tha...