Saturday, 16 December 2017

दिल संभल जा ज़रा

कभी तूफान है, कभी ख़ामोशी...
तू ही बता, तुझे हुआ क्या?
क्यों तू इतनी परेशां है
अपने ही सवाल पे आज हैरान है?
अपने ही चाल पे, अपने सवाल पे
क्यों उठा है आज तेरे अंदर एक बवाल?
दिल, संभल जा ज़रा ।

कभी दरी दरी, कभी सहमी सी है तू
तू ही बता, तुझे हुआ क्या?
उलझन जो है तेरी, आज समझ न आए मेरी ।
क्यों तुझे लगे, "इस दुनिया में कोई सहारा नहीं"
 "और अपनों की भीड़ में कोई हमारा नही"?

कभी ख़ुशी है, कभी नमी है
तू ही बता ज़रा, तुझे किसकी कमी है?

सुन कभी अपनी वो आवाज़, जो तुझे दिखा दे
एक राह तेरे हर सवाल तक
और जो बने तेरी ताकत
तेरे हर एक चाल तक
दिल, आज तू सम्भल जा ज़रा
न जाने कल किस नयी चुनोतियो की
 और है चला !

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